Wednesday, March 3, 2010

Pyaar

Ye duniya nazar nahin aati mujhe
Bas teri soorat hi dikhti hai ab

Andha nahin, kaana hai pyaar

2 comments:

Unknown said...

बहुत खूब
कुछ लोग ढेर सारे शब्द भी लिखें, तो अपनी बात कह नहीं पाते. आपकी ये रचना गागर में सागर का बड़ा अच्छा उदाहरण है. अब और नहीं लिखती, पढ़ने वाले कहेंगे, कैसी बातूनी लड़की है, रचना से लम्बी टिप्पणी 😄
निवेदन - ये रचनाएं देवनागरी लिपि में भी लिखें
~ अनूषा

Piyush k Mishra said...

अनुषा जी , रचना से लम्बी टिपण्णी, उपलब्धि है मेरे लिए. धन्यवाद.
सारी रचनाओं को देवनागरी में भी लिखूंगा, बिलकुल लिखूंगा. कल आइये यहाँ.

धन्यवाद फिर से :)